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लेखनी कहानी -08-May-2022 पहला और आखिरी खत

"# शॉर्ट स्टोरी चैलेंज प्रतियोगिता हेतु" 

जॉनर : प्रेम , सामाजिक 
पहला और आखिरी खत 

"मीना, पापा के लिए चाय बना देना" ।
मीना की सास रसोई में आते हुए बोली ।"जी, पापा आ गए क्या" ? मीना "बड़ी" की सब्जी बनाते हुए बोली । उसे "बड़ी" की सब्जी बहुत पसंद थी ।
"हां, अभी अभी आए हैं । देख, तेरे लिए क्या लाए हैं" । चहकते हुए सासू मां ने कहा ।
मीना की आंखें विस्मय से फैल गईं । "क्या लाए हैं पापा मेरे लिए" ? उसकी उत्सुकता उसके शब्दों से झलक रही थी ।
"सोनी कंपनी का हैडफोन । तुझे स्टारमेकर पर गाना अच्छा लगता है ना , इसलिए तेरे लिए लाए हैं इसे । कह रहे थे कि बहू बहुत अच्छा गाती है । इस हैडफोन से उसकी आवाज और निखर जायेगी । कितना ध्यान रखते हैं तेरा" ! सासू मां ने मुस्कुराते हुए मीना को देखकर कहा । 

मीना भी जानती थी कि उसके सास ससुर उसका बहुत ध्यान रखते हैं । अमर के शहीद होने के बाद उसकी जिंदगी वीरान हो चुकी थी । उसकी तो सारी दुनिया ही उजड़ चुकी थी । तब उसके सास ससुर ने उसे संभाला था । उनको भी तो अपने बेटे के जाने का दुख था मगर उसे भूलकर उन्होंने अपना सारा ध्यान मीना को संभालने पर लगा दिया था । अभी तो साल भर भी नहीं हुआ था शादी को । उसे क्या पता था कि उसकी खुशियां केवल चंद दिनों की मेहमान रहेंगी । एक महीने तक वह अस्त व्यस्त सी रही थी । ऐसे भी सास ससुर होते हैं, ये उसे तब पता चला था वर्ना तो किस्से कहानियों में तो सास ससुर को विलेन ही बताया जाता रहा है अब तक । मां बाप से बढकर प्यार दिया था उन्होंने उसे । 

वह उन दिनों की यादों में खोने लगी थी कि सासू मां ने धीरे से पूछा 
"नाराज मत होना बेटा, एक बात पूछनी थी तुझसे।  हमारे दूर के एक रिश्तेदार ने एक लड़का बताया है । किसी स्कूल में पढाता है । थोड़े दिन पूर्व उसकी पत्नी का देहांत हो गया था । उसके भी कोई बच्चा नहीं है । अगर तू हां कहे तो मैं बात आगे बढाऊं" ? सासू मां ने डरते डरते पूछा था क्योंकि वे जानती थीं कि इस बात से मीना बहुत चिढती है । सासू मां ने एक फोटो मीना के सामने रख दिया और चली गई ।

मीना को तो अब शादी के नाम से ही चिढ लगती थी । अमर से हो गई ना शादी । अब क्या बार बार होती हैं शादी ? कहते हैं कि जनम जनम का साथ होता है । इस जनम में उनका इतना ही साथ था । अगले जनम में इस जनम की कसर निकाल लेगी वह । अमर के अलावा और किसी की बांहों में जाने के नाम से ही कंपकंपी छूट जाती है उसकी । यह नहीं हो पायेगा उससे अब । अमर उसकी सांसों में बसा हुआ है । क्या सांस लेना बंद कर दे वो ? 

जब जब भी इस विषय पर कोई बात छिड़ती है तब तब ही उसका मूड ऑफ हो जाता है । यद्यपि ये बात सासू मां और पापा अच्छी तरह से जानते हैं फिर भी पता नहीं क्यों ऐसी बात छेड़ देते हैं । सासू मां और पापा का वह कितना आदर करती है लेकिन जब वे शादी की बात करते हैं तब उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है । तब वह भागकर अपने अमर के पास चली जाती है । अमर का फोटो सीने से लगाये वह उसकी बांहों में समा जाती है । फिर सैकेण्ड,  मिनट, घंटे कब निकल जाते हैं , पता ही नहीं चलता है । 

अमर की फोटो सीने से लगाये हुए वह अतीत में खो गई।  एक बार वह और अमर घूमने के लिए शिमला गए थे । अमर को तो बस एक ही काम था । तब उसने कहा था "शिमला आने के लिए लोग तरसते हैं और आप यहां शिमला आकर भी कमरे में पड़े हैं । बाहर निकलिए श्रीमान जी और शिमला की खूबसूरत वादियों का मजा लीजिए" ।

"वादियां भी तुम और जन्नत भी तुम हो । 
तुम्हीं मेरी खुदा और मन्नत भी तुम हो 
तुम्हारे सिवा और कोई हसरत नहीं है
मेरे ख्वाबों से भी ज्यादा खूबसूरत तुम हो" 

"बस, आपसे तो शेरो शायरी करवा लीजिए । अजी साहब, बारह बज गये हैं । अब तैयार हो जाइए । लंच के बाद "जाखो मंदिर" चलेंगे" । मीना ने तनिक कृत्रिम रोष प्रकट करते हुए कहा । 

अमर भी कहां कम था तुरंत गाने लगा 
तुम ही मेरी मंदिर तुम ही मेरी पूजा
जाखो मंदिर रूपी दिल में तुम ही बैठी हो 

"अच्छा अच्छा । मीना , मीना, मीना । जब देखो तब मीना । अगर इतना ही प्यार है अपनी मीना से तो आपने उसे शब्दों में बयां क्यों नहीं किया" ? मीना भी अब मूड में आ गई थी ।  
"प्यार को शब्दों की कबसे जरूरत होने लगी, मीना कुमारी जी ? क्या जानवर कभी कहते हैं कि हां, मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूं ? क्या कभी किसी फूल को किसी कली से यह कहते हुए देखा है कि मैं तुझ पर जां निसार करता हूं ।
? क्या कभी बादल को बिजली से कहते हुए देखा है और ...." 

"बस बस बस । आपकी तकरीर खत्म होगी क्या कभी ? प्यार प्यार प्यार । इतना कहते रहते हो प्यार के बारे में मगर आपने कभी अपने प्यार का इजहार किया है" ? 

"ये लो जी । हमने तो जान कदमों पे रख दी है और जनाबेआली कह रही हैं कि प्यार का इजहार किया है क्या ? अमर बेटा , तू तो जान से भी गया और ईमान से भी गया और इनको तो कुछ फर्क पड़ने वाला भी नहीं है" । अमर शरारत से मुस्कराने लगा ।

"ओहो , आप तो हमें फंसा देते हैं । अरे बाबा , हम कह रहे थे कि आपने कभी अपने प्यार का इजहार तो नहीं किया ना । आज तक एक भी लव लैटर लिखा हो तो बता दो ? वैसे तो दिन भर कहते रहते हो , 'मीना , आई लव यू' । मगर ये नहीं कि कोई अच्छा सा एक प्रेमपत्र लिखकर भेज दें । जनाब को गाना गाने से फुरसत मिले तो कुछ करें न" । आंखें तरेर कर कह गई मीना । 

"अच्छा तो यह बात है । ठीक है , अबकी बार मैं एक लव लैटर लिखूंगा । अब तो खुश " ? 

मीना को वे बातें याद आ गईं । वो पहला और आखिरी लव लैटर आज भी संभाल कर रखा है मीना ने । जब भी वह अमर की बांहों में समाना चाहती है तो वह उस खत को पढने बैठ जाती है । उस खत को कम से कम चार पांच बार पढती है वह । अब तो उस खत के प्रत्येक शब्द रट गये हैं उसे, मगर उस खत में ना जाने कैसी कशिश है जो मीना को खींच लाती है । 

मीना धीरे से उठी और अपने पर्स से एक छोटे से संदूक में लगे ताले की चाबी निकाली और संदूक खोलकर उसमें से वह खत निकाल लिया । संदूक में उसका सबसे कीमती सामान था जैसे ये पत्र , अमर का कंघा और सेना का दिया हुआ मेडल । बस यही सामान था उस संदूक में जिसकी चाबी अपने पर्स में रखती थी वह । हरदम अपने साथ । उसे इनके अलावा और कुछ  चाहिये भी नहीं था । 

मीना ने धड़कते दिल से वह खत उठाया और पढने लगी 

मेरी मीना, पन्ना , नीलम, रूबी और सारे जवाहरात 
हमेशा चमकती रहो, दमकती रहो 

मैंने तुमसे वादा किया था न कि मैं एक पत्र तुम्हें अवश्य लिखूंगा । आज मैं अपना वादा पूरा कर रहा हूं । इस खत को पाकर तुम अवश्य ही प्रसन्न होओगी  । अगर हो सके तो जवाब अवश्य देना । मैं इंतजार करूंगा । 

मेरी जान ए जाना 
कैसे बताऐं कि कितना प्यार है तुमसे ओ सनम 
तेरी बांहों में रहूं हमेशा, ये ख्वाहिश है तेरी कसम 
रोम रोम लिखता है नाम तेरा बनकर दिल की कलम 
बड़ी जान लेवा है जुदाई, अब ना सहे जायें सितम 

जबसे तुम्हें छोड़कर आया हूं , किसी काम मे जी नहीं लगता है । आंखों के आगे बस तुम्हारा ही चेहरा रहता है । ये दूरियां अब सहन नहीं होती हैं , तुम्हारे पास उड़कर आने को मन करता है  । 

कभी कभी  मैं सोचता हूं कि मैं ये नौकरी क्यों कर रहा हूं , किसके लिए कर रहा हूं ? अगर मेरी प्रिया मेरे पास नहीं है तो फिर नौकरी करने का क्या फायदा ? लेकिन जब मैं देश के बारे में सोचता हूं तो महसूस करता हूं कि अगर कोई नौकरी करेगा ही नही तो फिर इस देश का क्या होगा ? दुश्मन देश इस पर आक्रमण कर देंगे । और फिर  नौकरी से ही तो मां - बाबूजी की थोड़ी सेवा कर पाता हूं वर्ना तो उनका सानिध्य अब मिलता ही कहां है ? वैसे मैं जानता हूं कि तुम उनका बहुत अच्छे से ध्यान रख रही हो इसलिए मैं निश्चिंत होकर देश की सेवा कर पाता हूं । 

प्रिये, जब जब भी बहारें आती हैं तो मुझे लगता है कि तुम मुस्कुरा रही हो । तुम्हारे होठों से ही तो बहारें निकलती हैं । तुम्हारी आंखों से "मय" की नदियां बहने लगती हैं । तुम्हारी आवाज से "सरगम" बजने लगती है । जब जब मैं अपने मन के किसी कोने में कुछ खालीपन महसूस करता हूं तो "स्टारमेकर" पर तुम्हारे गीत सुन लेता हूं । इससे यूं महसूस होता है कि तुम मेरे पास ही हो, यहीं मेरे बगल में बैठी गा रही हो । 

जैसे फूलों में कोमलता, पवन में चंचलता , नदी में निरंतरता , प्रकृति में उदारता , चंद्रमा में शीतलता बसी हुई है उसी तरह तुम्हारा प्यार मेरे मन में बसा हुआ है । मैं जिस सेवा में हूं उसमें मेरे नहीं रहने की संभावना बहुत अधिक हैं । इसलिए कह रहा हूं कि कल को अगर ऐसा कुछ हो जाये तो तुम मेरी यादों के सहारे अपनी जिंदगी बरबाद मत कर लेना । किसी का हाथ थामकर एक नया सफर शुरू करना । जीवन चलने का नाम है रुकने का नहीं । समय के अनुसार निर्णय करने वाला व्यक्ति ही बुद्धिमान कहलाता है । और तुम तो बहुत समझदार हो । 

मन तो करता है कि लिखता चला जाऊं, मगर शब्दों की भी तो कुछ सीमाएं हैं ना । इसलिए अब लेखनी को विराम देता हूं । अपना खयाल रखना और मां बाबूजी को मेरा प्रणाम कहना । 

दिल में हो तुम सांसों में तुम आंखों में तुम ख्वाबों में तुम 
चैन ओ करार तुमसे सनम, अब तो मेरी जिंदगी हो तुम 

अच्छा अब चलते हैं 
बाय बाय 

तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा 
अमर 

खत पढकर मीना की आंखों से जलधारा बह निकली 
"मुझे माफ कर देना स्वामी । मैं आपकी 'इच्छा' का सम्मान नहीं कर पाई । पर मैं भी क्या करती ? मैं आपके सिवाय और किसी को ख्वाबों में भी नहीं ला सकती हूं । इसलिए मैं माफी चाहती हूं । मैं अगले जनम का इंतजार करूंगी । उस जनम में मैं इस जनम की सारी कसर पूरी कर दूंगी" । 

खत पढते पढते कब उसकी आंख लग गई,  मीना को पता ही नहीं चला । सासू मां ने जब चाय बनाने के लिए पुकारा तो उसकी नींद खुली । मुंह धोकर वह चाय बनाने लगी । 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
8.5 2022 


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13 Comments

kashish

12-Feb-2023 02:43 PM

nice

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sunanda

01-Feb-2023 03:02 PM

nice

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Seema Priyadarshini sahay

09-May-2022 05:10 PM

बहुत खूबसूरत

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